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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

घरों तक पहुंचेगा सरकारी बैंक , मिलेगी जमा निकासी सुविधा

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 अब सरकारी बैंक आपके दरवाजे तक पहुंचेंगे। इस वर्ष अक्टूबर से ग्राहक घर पर भी नकदी जमा कराने और निकासी की सुविधा ले सकेगें। शुरुआत में 100 शहरों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। इस काम के लिए अलग से डोरस्टेप बैंकिंग एजेंट नियुक्त किए जाएंगे। देश के सभी सरकारी बैंक डोरस्टेप बैकिंग सुविधा देगें। घर के दरवाजे पर वित्तीय सेवा हासिल करने के लिए मामूली शुल्क भी देना पड़ेगा। अभी हाल ही में 9 सितंबर को डोरस्टेप बैंकिंग सेवा का अनावरण किया गया।  डोरस्टेप बैकिंग सेवा में वरिष्ठ नागरिक , विधवा , विकलांग, आर्मी स्टाफ , सीआरपीएफ , छात्र , सैलरी वालें कर्मचारी , कारपोरेट ग्राहक , खुदरा दुकानदार , और रेहड़ी पटरी वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। कस्टमर केयर , बेव पोर्टल और मोबाइल एप के जरिये ग्राहक डोरस्टेप बैंकिंग सेवा की गुजारिश कर सकता है। अभी चेक बुक हासिल करने और डिमांड ड्राफ्ट व डिपाँजिट रसीद मंगाने जैसी - गैर वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध है। डोरस्टेप बैकिंग के तहित सेेवा की मााँँग करते ही एजेंंट के पास इसकी सूचना चली जाएगी। ग्राहक एप या पोर्टल के जरिये यह जानकारी रख सकता है , कि उस वक्त ऐजेंट कहाँ पर है।  अगर क

देश के लिए समय की माँग हिन्दी चीनी BYE BYE

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हमारा देश भारत एक शान्तिप्रिय राष्ट्र है। जो "सर्वे  भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामयाः " नामक ध्येय वाक्य का अनुसरण करता है। परन्तु कुछ अराजकता बादी देश हमारे राष्ट्र की अखण्डता , समरसता , समबद्धता को चुनौती देते आऐ है। और हम सभी देशबासियों ने उन चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया है। और देश की अखण्डता को बनाये रखा है। परन्तु आज फिर वहीं समय आ गया है जब ऐसा ही एक देश चींन हमारे देश को छिन्न - भिन्न करने की तैयारी कर रहा है। और वह हम भारतीयों में आपसी मत - भेद का फायदा उठाकर अपनी योजनाओं को सफलता पूर्वक अंजाम दे रहा है। अतः हम लोगों को चाहिए कि हम सब भारतीय एकजुट... होकर चीन पर कड़ा प्रहार करें। जिससे कि वह औधे मुँह गिर पड़े। और फिर कभी भारत के सामने आँख उठाने की हिमाकत न कर सके। अतः इसके लिए हम सभी भारतीयों को एकजुट होकर निम्न बातो पर चिन्तन करना होगा । हमें क्या नहीं करना है । ( 1 ) -  हमें अपने द्वारा खरीदे हुए किसी भी प्रकार के चीनी सामान ( मोबाइल, टीवी, लाईट आदि इलैक्ट्रॉनिक सामान) को किसी दूसरे के द्वारा उकसाने पर, आबेश मे आकर उन्हें तोड़ना , फोड़ना, या नष्ट नहीं करना है।    

सरकारी नौकरी vs अभियार्थी vs भ्रष्ट अभियार्थी

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श्री भगवत गीता के एक स्लोक मे कहा गया है   -- "कर्म करो फल की इक्क्षा मत करो " लेकिन आज के समय मे एक ईमानदार प्रतियोगी  अभियार्थी के लिए ये बात लागू नहीं होती हैं।  क्योंकि आपके परीक्षा फल को किसी दूसरे  अभियार्थी ने (अपने धन से / भाई-भतीजा बाद से या अन्य भ्रष्टाचारी तरीको से ) खरीद लिया है। एक अभियार्थी किसी परीक्षा में बहुत मेहनत  करता है। और फिर अपने परिणाम का इंतजार  करता है। और जब परीक्षा का परिणाम आता है। तो वह चकित हो जाता हैं, कि ये हो क्या रहा है?  उससे कम योग्यता वाले या कहे शून्य योग्यता  वाले अभियार्थी का चयन हो जाता है जबकि  उसका चयन नहीं पाता होता है ऐसा क्यों?? आज सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का यही हाल है। मेहनत कोई करता है और उसका फल कोई और  ही ले जाता है। क्या ऐसा होन चाहिए?                          अरे नहीं भाई आपको चाहिए कि-- आप सभी अभियार्थीयो और सरकार की  जिम्मेदारी अतः सबसे पहले सरकार की जिम्मेदारी बनती है  (1)  वह परीक्षा को सुरक्षित ढंग से करायें। और  इस पर कड़ा कानून बनाये और ये सुनिश्चित करें  कि कोई भी अभियार्थी अगर नकल करते हुए  पाया गया तो हमेशा के लि

आज की मीडिया का काला चिट्ठा /और आम नागरिक के कर्तव्य

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मीडिया जिसको हमारे देश मे संबिद्यान का चौथा स्तंभ कहा जाता हैं। मीडिया जिसका नाम सुनते ही हमारे दिमाग मे सबाल करते हुए ब्यक्ति का चहरा सामने आ जाता हैं। मीडिया जो जन-जन तक देश-विदेश की सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है।              किन्तु आज के समय मेंं मीडिया का स्वरूप ही परिवर्तित हो गया है आज की मीडिया का कार्य सिर्फ और सिर्फ अपने चैनलों की टी.आर.पी बढ़ाना और नेताओं की तरह आम लोगों को बेवकूफ बनाना रह गया है। मीडिया को जरूरत क्या मीडिया का कार्य सिर्फ दूसरों कें ऊपर दोषारोपण करना है? क्या मीडिया का कार्य नेताओं की तरह एक दूसरे की बुराई करना हैं?      क्या मीडिया का कार्य कोई समस्या/दुर्घटना आदि होने पर ये फलाने की गलती/ ये ढ़िकाने की गलती , इसने ऐसा किया /उसने बैसा किया  आदि इन सभी बातों का ठीकरा फोड़कर सिर्फ अपनी टी.आर.पी बढ़ाना है ?           अरे नहीं भाई ये आपके कार्य नहीं हैं। आपको देश का चौथा स्तम्भ ऐसे ही नहीं कहा जाता है  जिस तरह से न्यायालय का देश में सर्वोच्च स्थान है उसी तरह से मीडिया का न्यायालय से भी ऊंचा स्थान है।  आपको जनता की अदालत कहा जाता हैं  अतः आपको चाहिए कि आप फर्जी की